नक्षत्र मंडल में जब मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण से लेकर पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण तक चंद्रमा का गोचर होता है। तब चंद्रमा मिथुन राशि में माना जाता है। मिथुन राशि वायु तत्व वाली,पश्चिम दिशा की स्वामिनी,शूद्र वर्ण वाली, द्विस्वभाव वाली पुरुष प्रकृति की शूद्र वर्ण वाली राशि है। इस राशि के लोगो पर बुध,मंगल,राहु ग्रहों का प्रभाव देखने को मिलता है।कालपुरुष की कुंडली में इस राशि से कंधे, हाथों और बाहुओं का विचार किया जाता है।
गुण और स्वभाव: मिथुन राशि के लोग मध्यम कद काठी के,मोटी गर्दन वाले,घुंघराले बाल लिए ,मनमोहक छवि के होते हैं। इनकी थोड़ी में गड्ढा होता है और हांथ पतले होते है। मिथुन राशि के लोग
पढ़ने लिखने के शौकीन,तीक्ष्ण बुद्धि वाले होते हैं। इन्हे इंडोर खेल में काफी रुचि होती है। यह काफी तार्किक और बातूनी तथा जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं। मिथुन राशि के लोग काफी कामुक और प्रेम सक्रिय होते हैं। जीवन साथी से जल्दी गुस्सा होना फिर जल्दी मान जाना इनका स्वाभाविक गुण होता है। कभी कभी यह चिड़चिड़े हो जाते हैं तथा जिंदादिल होने की वजह से धोखे के शिकार हो जाते हैं।
विपरीत लिंग के लोगो के साथ घूमना,दोस्ती करना इन्हे काफी भाता है। मिथुन राशि के लोग काफी संवेदनशील और परिर्वतनशील होते हैं। यह किसी भी कार्य की योजना बनाने में काफी कुशल होते हैं।
कैरियर: मिथुन राशि के लोग कुशल गणितज्ञ,मैनेजर,लेखक,कवि,
बैंकिंग अधिकारी,आयात निर्यात,टेलीफोन संचालक,चिकित्सक,
समीक्षक,अंतरिक्ष अनुसंधान,जुआ, लॉटरी,शेयर आदि के दलाल,
कॉमेंटेटर, गायक,एयर फोर्स,क्लर्क,सूती वस्त्र उद्योग,टीचिंग आदि में अपना कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
रोग: मिथुन राशि के लोगो को थायरॉयड, टी बी,सर्दी खांसी,
अतिसार,हड्डी टूटना,निमोनिया या छाती से सम्बन्धित रोग आदि हो सकते हैं।
भाग्यशाली दिन : सोम,बुध,गुरु और शुक्र
भाग्यशाली रंग : हरा,पीला और सफेद
भाग्यशाली अंक :3,5,6,7
शुभ रत्न : पन्ना
उपाय: मिथुन राशि के जातक को पूर्णिमा का व्रत तथा भगवान विष्णु और गणेश जी की उपासना करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। प्रत्येक बुधवार भगवान गणेश को गुड़ का भोग लगाएं।
ज्योतिषाचार्य पं योगेश पौराणिक (इंजी)
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